Saturday, January 19, 2008

Wednesday, January 16, 2008

''सुबह का समय''


''सुबह का समय''



सुबह का समय है,


जब हम सोते रहते हैं,


तब हमें चिड़िया की,


चीं चीं करती आवाज,


सुनाई देती है,


उस आवाज से हमारी नींद,


खुल जाती है,


तब हमें मालुम होता है कि,


सुबह हो गई है,


बच्चे भी,


उठ जाते हैं,


देखते है मनोरम दृश्य,


जमीन पर,


दाने बिखरे हुए हैं,


चिड़िया उन दानों को,


चुग-चुग कर खा रही है,


पानी पी रही है,


माताऐं भी खुश हैं,


कि बच्चे भी,


चिड़ियों का देखा देखी,


कुछ खा ले रहे हैं

Thursday, January 3, 2008

॰॰॰॰॰॰॰प्रार्थना॰॰॰॰॰॰॰॰


॰॰॰॰॰॰॰प्रार्थना॰॰॰॰॰॰॰॰

तुफानी झील से जो
पार नैय्या ले जाये
झंझावतों से लड़कर
द्रढ़ता से खड़े रह जाये
मौंजों में भी जिसके

पांव नहीं डिगे
वही है असली इंसा
जिससे ना जाने कब
हम मिलें
बातों में जिसकी
हो सच्चाई
कामों जिसके
हो दृढ़ताई
लक्ष्य जिसका हो
भला करना
हे प्रभू मुझे
उससे ही है मिलना

नव-वर्ष की हार्दिक शुभकामना