Friday, May 30, 2008

््् दो बच्चे ्््

््् दो बच्चे ्््
दो बच्चे, भाई-बहन
दो बच्चे खेल रहे हैं
ना घर है, ना कमरा
खुला आसमान के नीचे
आग की तरह धूप में
सुबह से शाम तक
बच्चे रहते हैं, वहां पर
रेत में मिट्टी में खेलते हैं
गरीब मजदूर
के बच्चे, मां बाप
काम कर रहे हैं
बच्चे मां बाप को देख रहे हैं
कि मां-बाप जल्दी से
हमें घर ले चलो
अब तो शाम हो गई है
््््््््््््््््

Tuesday, May 6, 2008

कच्चे आम

कच्चे आम
आम के पेड़ में
लगे हुए हैं
कच्चे आम
कुछ छोटे छोटे आम
कुछ बड़े बड़े आम
हरे हरे रंग के आम
कितने अच्छे दिख रहे हैं
लागे हुए कच्चे आम
हरे रंग के पत्तों के बीच
अच्छे लगते हैं
कच्चे कच्चे आम
बच्चे तोड़ते हैं आम
मन भावन कच्चे आम